Archive

Thursday 10 November 2016

सन् १८४० में काबुल में युद्ध में ८००० पठान मिलकर भी १२०० हिन्दू का मुकाबला घंटे भी नही कर पाये

ये इतिहास के पन्नों से लिया गया सच हैं और मैं इसे बदल नहीं सकती हूँ किसी को ठेस पहुंचे तो माफ करें
विविध राजपूत इतिहास के पन्नों से…..
सन् १८४० में काबुल में युद्ध में ८००० पठान मिलकर भी १२०० राजपूतो का मुकाबला घंटे भी नही कर पाये
वही इतिहासकारो का कहना था की चित्तोड की तीसरी लड़ाई जो ८००० राजपूतो और ६०००० मुगलो के मध्य हुयी थी वहा अगर राजपूत १५००० राजपूत होते तो अकबर भी आज जिन्दा नही होता इस युद्ध में ४८००० सैनिक मारे गए थे जिसमे ८००० राजपूत और ४०००० मुग़ल थे वही १०००० के करीब घायल थे
और दूसरी तरफ गिररि सुमेल की लड़ाई में १५००० राजपूत ८०००० तुर्को से लडे थे इस पर घबराकर में शेर शाह सूरी ने कहा थामुट्टी भर बाजरे (मारवाड़) की खातिर हिन्दुस्तान की सल्लनत खो बैठताउस युद्ध से पहले जोधपुर महाराजा मालदेव जी नहीं गए होते तो शेर शाह ये बोलने के लिए जीवित भी नही रहता |
इस देश के इतिहासकारो ने और स्कूल कॉलेजो की किताबो मे आजतक सिर्फ वो ही लडाई पढाई जाती है जिसमे हम कमजोर रहे वरना बप्पा रावल और राणा सांगा जैसे योद्धाओ का नाम तक सुनकर मुगल की औरतो के गर्भ गिर जाया करते थे, रावत रत्न सिंह चुंडावत की रानी हाडा का त्याग पढाया नही गया जिसने अपना सिर काटकर दे दिया था, पाली के आउवा के ठाकुर खुशहाल सिंह को नही पढाया जाता जिन्होंने एक अंग्रेज के अफसर का सिर काटकर किले पर लटका दिया था जिसकी याद मे आज भी वहां पर मेला लगता है। दिलीप सिंह जूदेव का नही पढ़ाया जाता जिन्होंने एक लाख आदिवासियों को फिर से  हिन्दू  बनाया था

www.rajputpeople.com;rajput


महाराणा प्रताप ,वीर शिवाजी , राजा विक्रमाद्तिया , वीर पृथ्वीराज चौहान , हमीर देव चौहान ,भंजिदल जडेजा , वीरदेव मेड़ता , बाप्पा रावल , नागभट प्रतिहार , मिहिरभोज प्रतिहार, राणा सांगा , राणा कुम्भा , रानी दुर्गावती ,
रानी पद्मनी ,रानी कर्मावती , भक्तिमति मीरा मेड़तनी , वीर जयमल मेड़तिया , वीर छत्रशाल बुंदेला , दुर्गादास राठौर , मालदेव राठौर , महाराणा राजसिंह , विरमदेव सोनिगरा , राजा भोज , सुहेलदेव बैस , आनंदपाल तोमर
राजा हर्षवर्धन बैस , बन्दा सिंह बहादुर आदि महानुभावों के बारे में हमे नही बताया जाता ना ही पढ़ाया जाता है
ऐसे ही हजारो योद्धा जो धर्म प्रजा और देश के लिए कुर्बान हो गए।
वही आजादी में वीर कुंवर सिंह,आऊवा ठाकुर कुशाल सिंह,राणा बेनीमाधव सिंह,चैनसिंह परमार,रामप्रसाद तोमर बिस्मिल,ठाकुर रोशन सिंह,महावीर सिंह राठौर जैसे महान क्रांतिकारी अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गए।..

No comments:

Post a Comment