मेवाड़ के सलूम्बर ठिकाने के रावत रत्नसिंह चुंडावत भी अपनी शादी के बाद ठीक से अपनी पत्नी रानी
हाड़ी से मिल भी नहीं पाए कि उन्हें औरंगजेब के खिलाफ युद्ध में जाना पड़ गया और रानी ने ये सोच कर कि कहीं उसके पति पत्नीमोह में युद्ध से विमुख न हो जाए या वीरता प्रदर्शित नही कर पाए इसी आशंका
के चलते उस वीर रानी ने अपना शीश काट कर ही निशानी के तौर पर भेज दिया ताकि उसका पति अब
उसका मोह त्याग निर्भय होकर अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध कर सके | और रावत रतन सिंह चुण्डावत ने
अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक
शत: शत: नमन क्षत्राणी को
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