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Wednesday 20 May 2015

भामाशाह और राणा प्रताप पुनःमुगलों के छक्के छुड़ाते हुए पढ़ाओ और शेयर करो सा

www.rajputpeople.com
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maharana pratap
बात उन दिनों की है जब भामाशाह की सहायता से राणा प्रताप पुनः सेना एकत्र करके मुगलों के छक्के छुड़ाते हुए डूंगरपुर, बाँसवाड़ा आदि स्थानों पर अपना अधिकार जमाते जा रहे थे।एक दिन राणा प्रताप अस्वस्थ थे, उन्हें तेज ज्वर था और युद्ध का नेतृत्व उनके सुपुत्र कुँवर अमर सिंह कर रहे थे। उनकी मुठभेड़ अब्दुर्रहीम खानखाना की सेना से हुई। खानखाना और उनकी सेना जान बचाकर भाग खड़ी ुई। अमर सिंह ने बचे हुए सैनिकोंतथा खानखाना परिवार की महिलाओं को वहीं कैद कर लिया। जब यह समाचार महाराणा को मिला तो वे बहुत क्रुद्ध हुए और बोलेः"किसी स्त्री पर राजपूत हाथ उठाये, यह मैं सहन नहीं कर सकता। यह हमारे लिए डूब मरने की बात है।"वे तेज ज्वर में ही युद्ध-भूमि के उस स्थान पर पहुँच गये जहाँ खानखाना परिवार की महिलाएँ कैद थीं।राणा प्रताप खानखाना के बेगम से विनीत स्वर में बोलेः"खानखाना मेरे बड़े भाई हैं। उनके रिश्ते से आप मेरी भाभी हैं। यद्यपि यह मस्तक आज तक किसी व्यक्ति के सामने नहीं झुका, परंतु मेरे पुत्र अमर सिंह ने आप लोगों को जो कैद कर लिया और उसके इस व्यवहार से आपको जो कष्ट हुआ उसके लिए मैं माफी चाहता हूँ और आप लोगों को ससम्मान मुगल छावनी में पहुँचाने का वचन देता हूँ।"उधर हताश-निराश खानखाना जब अकबर के पास पहुँचा तो अकबर ने व्यंग्यभरी वाणी से उसका स्वागत कियाः"जनानखाने की युद्ध-भूमि में छोड़कर तुम लोग जान बचाकर यहाँ तक कुशलता से पहुँच गये?"खानखाना मस्तक नीचा करके बोलेः "जहाँपनाह ! आप चाहे जितना शर्मिन्दा कर लें, परंतु राणा प्रताप के रहते वहाँ महिलाओं को कोई खतरा नहीं है।" तब तक खानखाना परिवार की महिलाएँ कुशलतापूर्वक वहाँ पहुँच गयीं।यह दृश्य देख अकबर गंभीर स्वर में खानखाना से कहने लगाः"राणा प्रताप ने तुम्हारे परिवार की बेगमों को यों ससम्मान पहुँचाकर तुम्हारी ही नहीं, पूरे मुगल खानदान की इज्जत को सम्मान दिया है। राणा प्रताप की महानता के आगे मेरा मस्तक झुका जा रहा है। राणा प्रताप जैसे उदार योद्धा को कोई गुलाम नहीं बना सकता।"
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मारवाङ री धरा देखी, देख्यौ मैदान दिल्ली रो।
मराठां रा परबत देख्या, देखी धरती निजाम री।

कोई बात अचरज री, ना दिखी हिन्दुस्तान में।
अचरज हुयो म्हानै घणौ, देख धरा राजस्थान री।... 

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